चलो फिर से हम वही ख़ता करते हैं..
सौदा दिलों का फिर से एक दफ़ा करते हैं !
बिखरे हुए अरमानों के टुकड़े उठाते हैं,
क्यों ना एक ख़्वाब फिर से हम मिलकर सजाते हैं ?
आँखों की जानिब कहानियां एक दूसरे को सुनाते हैं,
लफ़्ज़ों के बग़ैर ही एक दूसरे के दिल में उतर जाते हैं !
ख़ामियां तो हज़ारों हैं हम में, सुनो ना....
उन ख़ामियों में ही अपने इश्क़ की जगह बनाते हैं !
~ सत्यवीर
सौदा दिलों का फिर से एक दफ़ा करते हैं !
बिखरे हुए अरमानों के टुकड़े उठाते हैं,
क्यों ना एक ख़्वाब फिर से हम मिलकर सजाते हैं ?
आँखों की जानिब कहानियां एक दूसरे को सुनाते हैं,
लफ़्ज़ों के बग़ैर ही एक दूसरे के दिल में उतर जाते हैं !
ख़ामियां तो हज़ारों हैं हम में, सुनो ना....
उन ख़ामियों में ही अपने इश्क़ की जगह बनाते हैं !
~ सत्यवीर
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