वक़्त गुज़र चुका है तक़रीर का...
कि अब क़िस्मत की तहरीर बदलने की बारी है,
मसला फ़क़त ये नहीं कि क्या तदबीर है इन उलझनों का !
मुद्दा अब ये है की क्या तुझमें तक़दीर बदलने की खुमारी है ??
कि अब क़िस्मत की तहरीर बदलने की बारी है,
मसला फ़क़त ये नहीं कि क्या तदबीर है इन उलझनों का !
मुद्दा अब ये है की क्या तुझमें तक़दीर बदलने की खुमारी है ??